खोयी हुई एक सोच मिल गई ...
तम्मनाओ से जिंदगी बन गई ...
हर एक उदासी का बादल छट गया ...
जब अपनी जिंदगानी का असली मतलब समझ गया ...
हर कुछ करने का अरमान ...
बहुत कुछ पाने का अरमान ...
जीत जाने का , मुस्कुराने का मेरा वो अरमान ...
हकीक़त की डगर पर अब चला है ....
कदम डगमगाते नहीं है , जो रोक लूँ उनको ...
क्यूंकि ...अब दिल कुछ पाने की चाहा रख चला है ....
बहकी हुई वो बातें , धूमिल होती हुई वो यादें ...
जागती आँखों में सपने , और सपनो को हासिल करते बुलंद इरादे ...
ना जाने ये मन किस डगर चला है ...
मन बहका है ...मानता हूँ ये ...
पर अब ये अपनी राह को चला है !!!!