सागर की इन लहरों में ,
डूबता जा रहा हु मै,तलाश है मुझे किनारे की ,
पर क्या करू ये लहरें ……
खींचती जाती है अपनी तरफ मुझे
ज़िन्दगी का हर पल लगता है
ठहर सा गया है कही ,
किनारे की तलाश में मै ,
खो रहा हू ‘खुद को ’,
न जाने ये सागर की लहरें
लेकर जाएँ कहा मुझे
ऐ सागर की लहरों ‘बेनाम निखिल ’को
तलाश -ए -किनारे में मदद करना …
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