बैठे बैठे ना जाने मन में ख्याल आया ...
ख्याल में तेरा ही नाम आया ....
नाम के आते ही सवाल भी आ गया ...
क्यूँ एस्सा हुआ की मेरे ख्यालों में तू आ गया ???
अपने दस्तो दरवाजे पैर बेठे हुए हम तो बस जम्हाई ले रहे थे ....
खुली भी ना थी आँखें ....और चाय के साथ मौसम का एहसास ले रहे थे ...
बार बार सोचा के कुछ भूल रहा हूँ मैं ...
याद आया तो ....नाम तेरा ही याद आया ....
जल्दी से मेने अपने चारो ओर देखा ...तो पाया ये हकीक़त सा ख्याल ही था ....
छोटा सा एक नाम तेरा ...पर ख्याल बड़ा ही प्यारा था ...
अब तो सोचता हूँ के हर वक़्त ये ख्याल ही आये ....
बस ख्याल ही आये ...सवाल ना आये !!!