Saturday, September 10, 2011

Kal ki Baat...

आज  बारिश  को  देख  कर  लगा ...
जैसे  ये  कल  ही  की  तो  बात  थी  ....
पानी  की बूंदों  को देख कर मन  मचल  उठा ...
खिल  उठा छोटे  बच्चे  की तरह ....
वो  फूलों  का  मुस्कुराना ...
पंछियों  का  अपने  घर  लौट  जाना ...
मोर  का ख़ुशी   का इज़हार  करना ...
बिजली  का गरजना ..
झूम  के   बादलों  का बरसना ....
हर  बूँद  में  एक  नयी  ख़ुशी का आना ....
जैसे ये कल ही की तो बात थी ....
जब  ऐसे   ही किसी  समय  में हम  दोनों  साथ  थे ...
वो गीली  सड़कें , वो मिटटी  की सुगंध ....
वो भीगी  हुई  तुम ....और  भीगा  सा  मैं ....
वो तेरा  मेरी  बाँहों  में सिमटना ...
वो बारिश में सुनी  सड़कों  पर  थामे  हाथ  को चलना ...
बस  ऐसा  कल ही तो था ...जब तू  मेरा  अपना  था....
बारिश हुई...आज भी  वैसे  ही हुई....
कुछ  भी ना  बदला ....
पर कौनसी सी  ऐसी  बात  है जो  एहसास  कराती  है....
तेरे  मौजूद  ना होने  का इशारा   सा दे  जाती है....
तन्हाई  तो आती  है जाती....
एक लम्हे  में ये जिन्दगी  ना जाने  क्या  कह  जाती है....
इतना  नहीं  सोच  पा   रहा  हूँ  में आज ...
ना जाने क्यूँ  ...में भूल  सा गया   हूँ कल  की बात....
आज एक नया  सा अनुभव  है....
एक अजीब  सी खुसी है इस  बारिश में....
आज मैं बहुत  भींगा  हूँ मन मेरे ...
सारे  गम  तर  हो  गए  ना जाने बूंदों के साथ कहाँ  खो  गए....
आज बारिश ने  मेरा तन  बदन  सब  भीगा  दिया  है....
आज एक नया अनुभव सा मुझे दिया है....

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