Thursday, September 15, 2011

Kavita...

कविता  क्या  है ...???
सच  है  या  फिर  कल्पना ...
अपने  में  समेटे  शब्दों  का  जाल  है ...
या  अंतर  मन  की  आवाज़ ...
कविता  दर्द -ए- दिल  की  पुकार  है ...
या  छुपे  हुए  एहसास  की  एक  मार ...
किसी  कवी  का  प्यार  है ...
या  उसका  कोई  विचार ...
भुजा  हुआ  अंगार  है ...
या  बहता  हुआ  जज़्बात ...
ये  गूंगों  की  भासा  है ...
या  है  वजूद  की  तलाश ...
हर  वक़्त  को ..
हर  हालात  को  बयान  करने  वाली  कविता ...
क्या  महज  एक  कविता  है ...
या  महज  एक  कवी  की  रचना ....

ये द्वन्द यहीं ख़तम हो जाये अगर इतना कहूं के 
ये कविता हर दिल का साज़ है..
ये न भुजने वाली एक आग है..
न समझ भी इस शब्द  जाल को समझ लेता है...
समझदार इसको सुर बना देता है...
कविता नाम नहीं महज कुछ शब्दों को मिलाने का..
ये तो एक तरीका है अपने खयालातों को कागज पर  उतरने का...








2 comments:

suvra said...

good one Nikk..
Like..like like....

Nikhil aka NiKk said...

@suvra...thanku... for a change different version likh dala..

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